Sunday, July 17, 2011

उस देश की हालत क्या होगी, जिस देश में डाकू चोर बसे


जब मुंबई में बम ब्लास्ट हुआ, लोगों की चीत्कार से समस्त देशवासी हिल गये। उस वक्त हमारे नेता किस प्रकार की बयानबाजी कर रहे थे, अपना समय कैसे गुजार रहे थे। जरा उस पर प्रत्येक देशवासी को विचार करना चाहिए। विचार ये भी करनी चाहिए कि जिनकी इतनी घटियास्तर की सोच हो। क्या उनके देख रेख में अपना देश सुरक्षित हैं, गर नहीं तो ऐसे हालात में हमें क्या करना चाहिए।
मुंबई ब्लास्ट के बाद सबसे पहले, इस देश के घटियास्तर के नेताओं का बयान सुनिये--------
घटियास्तर का नेता नं. एकदिग्विजय सिंह – ये कहता है कि पाक में तो हर दिन धमाके होते हैं, हम उनसे बेहतर।
घटियास्तर का नेता नं. दो
राहुल गांधी, जो खुद को युवराज, भविष्य का प्रधानमंत्री और पता नहीं क्या क्या विभूषित करा रखा हैं, इसका बयान आता हैं कि अफगानिस्तान, ईरान – इराक में भी होते हैं आतंकी हमले, आतंकी हमले को रोकना मुमकिन नहीं हैं।
घटियास्तर का नेता नं. तीन
गृहमंत्री पी. चिदम्बरम – जो गृह मंत्रालय संभाल रहा हैं, कहता हैं कि खुफिया एजेंसी ने 31 महीने तक मुंबई को बचाये रखा।
घटियास्तर का नेता नं. चारराज ठाकरे – महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का स्वयंभू- इसका देश महाराष्ट्र से शुरु होता हैं और महाराष्ट्र पर ही खत्म हो जाता हैं, कहता हैं कि इस आतंकी घटना के लिए उत्तर भारतीय जिम्मेवार।
घटियास्तर का नेता नं. पांच
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह – जो झूठी दिलासे दिलाते हुए कहता हैं सरकार भविष्य में आतंकी हमले नहीं होने देगी और इसी पार्टी का,
घटियास्तर का नेता नं. छः
पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय, जिसकी आंखों में शर्म तक नहीं, उधर लोग चीख चिल्ला रहे थे, ये अर्द्धनग्न युवतियों के दृश्यों को अपने आंखों में कैद कर रहा था।
ये सारी घटनाएं बताती हैं कि हमारे देश के नेता कितने निर्लज्ज, बेहया और कायर है। इन्हें आतंकियों की आहट सुनायी नहीं देती। क्योंकि आतंकियों के धमाके, इनके परिवारों को प्रभावित नहीं करते। करेंगे भी कैसे। आतंकी इनके मेहमान और रिश्तेदार जो होते हैं। याद करिये, कि जब रुबिया सईद का अपहरण हुआ था तो हमारे देश के कर्णधारों ने कैसे पांच आतंकियों को ससम्मान छोड़ दिया था। ऐसे उदाहरण एक नहीं, अनेक है।
हम भारतीय भी इस आतंकी घटनाओं के लिए कम जिम्मेवार नहीं है। याद करिये, केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार, कारगिल युद्ध के बाद, एक भारतीय विमान का आतंकियों ने अपहरण किया। उस विमान में आतंकियों के गिरफ्त में जिनके परिवार के सदस्यों का जीवन खतरे में था, उन्होंने बलिदान की भावना को त्याग कर
देश हमारा भाड़ में जाये,
मेरा परिवार घर को आये,

इस भावना के तहत, प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय का घेराव कर दिया। नतीजा क्या हुआ, एक अरब का देश भारत, आतंकियों के आगे सर झूकाया। तीन पाकिस्तानी आंतकी छोड़े गये, और नतीजा सामने है। ये आंतकी हमेशा आतंक के बल पर हमें घिघियाने को विवश करता हैं, हम घिघियाते हैं, और उसके रहमोकरम पर रहने को विवश हैं।
वो देश जो हर पन्द्रह अगस्त और छब्बीस जनवरी को ये गीत गाता हैं कि
"लाख फौजे लेके आये
अमन का दुश्मन कोई
रुक नहीं सकता,
हमारी एकता के सामने
हम वो पत्थर हैं, जिसे
दुश्मन हिला सकते नहीं.
अपनी आजादी को, हम हरगिज मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं, लेकिन सर झूका सकते नहीं।"
कमाल हैं ये गीत गानेवाला देश, जब – जब सर कटाने की बारी आयी। आतंकियों के आगे सर झूकाया हैं, वो सिर्फ मैंने ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व देखा हैं कि भारत में अब महाराणा प्रताप, चाणक्य, गुरु गोविन्द सिंह जैसे महापुरुष नहीं पैदा हो रहे, अब शत प्रतिशत कायर और अपने पत्नी के लिए जीनेवाले, लोग पैदा हो रहे हैं और जिस देश में ऐसी पौध होगी, वो देश आतंकियो के रहमोंकरम पर ही जिंदा रहेगा। ये शाश्वत सत्य हैं और गर कोई इसे नकारने की बात करता हैं, तो उसकी मूर्खता पर हमें कुछ भी बातें नहीं करनी।
अब जबकि पूरा देश आतंकियों के गिरफ्त में है, तो हमें क्या करना चाहिए। ये यक्ष प्रश्न, उस हर देशवासी के हृदय में हैं, जो देश के लिए सोचता हैं। उनके लिए, कुछ सुझाव हैं
1. नेताओं के बातों पर ध्यान न दें, ये गद्दार है, गद्दारी करेंगे, और अंत में अपने लिए, अपने शव पर तिरंगा भी डलवा लेंगे। ऐसे लोगों से सावधान रहे।
2. जहां भी रहे, ये मन में ध्यान रखें कि ईश्वर आपके साथ हैं, गर आप दुनिया में नहीं भी रहेंगे तो आपके परिवार का भरण पोषण करनेवाला ईश्वर आपके परिवार को देखेगा। आप देश के लिए मरने को तैयार रहे, कहीं भी कोई आतंकी घटनाएं होती हैं, उस पर आंसू न बहाये, न रोए, उसका मुकाबला करें, किसी की हिम्मत नहीं कि इस देश और इसकी संस्कृति को मिटा सकें।
3. आतंकी विदेश में नहीं हैं, इसी देश में हैं, विदेश से तो इनके गिने चुने आका ही आते हैं, और हम सबकी नींद उड़ा देते हैं, आप अपने आसपास जहां रहते हैं, वहां जैसे ही बाहरी लोगों को देखे, सतर्क हो जाये।
4. आतंकी जब भय दिखाकर, हमें डिगा सकने का इरादा रखते हैं, तो हम भी उन्हें भय दिखाये कि यहां रहना तुम्हारे लिए मौत को आमंत्रण देना हैं, लेकिन आप जैसे ही इन आतंकियों को जिंदा पकड़ेंगे तो ये नेता उन्हें बचाकर विदेश पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे, जैसा कि पूर्व में आतंकियों को छोड़कर और जेलों में आज भी कई आतंकियों की आवभगत कर हमारे देश के नेताओं ने एक सुंदर उदाहरण पूरे विश्व को दे दिया हैं।
5. हमारे देश के कानून में इतना दम ही नहीं कि कोई आतंकी बच कर निकल जाये, ये कानून सदियों पहले अंग्रेजों के द्वारा बनाये गये थे, जो अंग्रेज अपने लिए बनाये थे ताकि इसका फायदा उठाकर वे विदेश चले जाये। इन्हीं कानूनों को कांग्रेसी सरकार ने यथावत् स्वीकार कर लिया, जिसका दंश हमारा देश आज भी झेल रहा हैं।
6. जो नेता, आपको सांप्रदायिक कहकर, आपको नीचा दिखाने की कोशिश करें, उसे ही देश का सबसे पहला गद्दार माने, क्योंकि इनकी संख्या सुबाहु, मारीच की तरह बढ़ती जा रही है।
7. अपने घरों में महात्मा गांधी, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, सरदार पटेल, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सरोजिनी नायडू, लक्ष्मीबाई आदि महानायकों व महानेतृयों के विचारों को सुने और सुनाये। अपने बच्चों को ये जरुर बतायें कि इस देश की प्राचीन संस्कृति क्या रही हैं। कैसे ये देश सदियों से हमलावरों का दंश झेलते रहा हैं, कैसे इसी देश के गद्दारों ने दूसरे देश के लोगों के साथ मिलकर भारत के स्वाभिमान को बेच दिया और कैसे इतनी दुर्घटनाओं का दंश झेलने के बाद भी भारत आज भी खड़ा हैं, जबकि इस देश में गद्दारों की कमी नहीं हैं।
8. अपने बच्चों को कायर न बनाएं, देशभक्त बनाएं।
9. वंदे मातरम् और भारत माता की जय को हृदयंगम करें। कुछ नेताओं को इन नारों से चीढ़ होती हैं, ये चीढ़ क्यों होती हैं, आप खुद समझ सकते हैं। इसलिए इन बातों पर ध्यान न दें।
10. महत्वपूर्ण ये नहीं कि कौन कितने दिन जीया, महत्वपूर्ण ये हैं कि वो जितने दिन जीया, कैसे जीया। अंततः देश के लिए जीये और देश के लिए मरे।

Thursday, July 14, 2011

नेता पर लेख.............................


नेता एक दोपाया और खतरनाक जंगली जानवर होता है। मनुष्यों की तरह इसके भी दो आंख, दो कान, एक नाक और एक मुंह होते है, पर अपने दिमाग और पेट में रहनेवाले ज्वलनशील विचारों और कीटाणुओं के कारण ये आम आदमी से अलग हो जाता है। ये जानवर पूरे विश्व में अलग – अलग शक्लों में पाया जाता है और सभी जगह की जनता इनसे त्रस्त होती रहती है। ये वोट के चलते अपने देश को भी दांव पर लगा सकता है। इसका आवास संसद, विधानसभा और उनके पार्टी कार्यालय होते है। नेताओं के विचार से ओतप्रोत होकर, इनकी पत्नियां और इनके बेटे और बेटियां भी अनुप्राणित होती है, और देश की सामाजिक संरचना को चूहों और छुछुंदरों की तरह कुतरती रहती है। इनके जीवन का मुख्य उद्देश्य अपने देश की सम्मान को दूसरे देशों के आगे गिरवी रखना, अमरीका, स्विटजरलैंड, इटली तथा वेटिकन सिटी जैसे देशों के राष्ट्राध्यक्षों के आगे ताता-थैया करना होता हैं और जो इनके खिलाफ बोल रहा होता हैं, उसे सांप्रदायिक और देशद्रोही करार देकर फांसी पर लटका देना ही मुख्य मकसद होता हैं। जो आंतकी इस देश के खिलाफ आग उगलते हैं, ये नेता उनकी आरती उतारनें में अपनी शान समझते हुए, अपने खानदानों और अपने दल के कार्यकर्ताओं को, उसके पक्ष में जय जयकार करने का नारा देने का प्रस्ताव भी रखता हैं।
अपने देश में फिलहाल ऐसे नेताओं की संख्या 90 से 95 प्रतिशत हैं। इन नेताओं के आगे पत्रकारों की टोली भी चल रही होती हैं। ठीक उसी प्रकार जैसे जंगलों में शेरों के पीछे – पीछे सियारों और गीदड़ों की टोली चल रही होती हैं। जैसे शेर किसी का शिकार कर, अपना भोजन ग्रहण करने के बाद जूठन छोड़ देता हैं, फिर उस जूठन को सियार या गीदड़ खाते हैं, ठीक उसी प्रकार पत्रकारों का दल इन नेताओं के पीछे-पीछे चलकर खुद को अनुप्राणित कर रहा होता हैं। ऐसे दृश्य चुनावों के समय अथवा समय – समय पर बराबर दिखाई पड़ता हैं, पर किसी को इनके खिलाफ बोलने का अधिकार नहीं होता, क्योंकि इनके खिलाफ बोलने पर, इन नेताओं के द्वारा विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने का अधिकार भी मिला होता हैं, जिसका ये नेता बराबर सदुपयोग करता रहता हैं। अब तक लाखों – करोड़ों लोग, इन नेताओं के शिकार बन चुके हैं, और बनने को कुछ तैयार भी हैं, पर फिलहाल इस जानवर से बचने के लिए, न तो डाक्टरों ने किसी टीके का इजाद किया हैं और न ही आनेवाले समय में इनसे मुक्ति मिलने के आसार है।
नेताओं का पेट ----------------
नेताओं का पेट ही इनकी बड़ी विशेषता हैं – आप कोई भी गैरकानूनी काम करें, इसके पेट में आप मुंहमांगी रकम डाल दें, आप मुक्त हो जायेंगे। इनका पेट ऐसा हैं, कि कभी भी इनका भूख शांत नहीं होता, ये डाकघर की डाकपेटी के समान हैं, कि कभी भी इनका पेट भरता नहीं। आप लाख इन पर घोटालों का केस करे, भ्रष्टाचार का आरोप लगायें, इनका बाल बांका नहीं होता, थोड़ी दिन तक तो ये जेल जाता हैं, पर जल्द ही जेल से निकल कर शेखी बघारता हैं। उसका उदाहरण ये हैं कि आजादी के बाद से अब तक किसी नेता को सजा ही नहीं मिली, क्योंकि नेता कभी गलत हो ही नहीं सकता, क्योंकि वो नेता है।
आजादी से लेकर अब तक कई हास्य कवियों ने इन नेताओं पर चुटकियां ली, पर इन नेताओं पर, इसका असर नहीं दिखता, क्योंकि भगवान इन्हें फुर्सत के क्षण में विशेष रुप से बनाया होता हैं, इसलिए नेता को आप कुछ भी नाम दें, वो नेता ही रहता है। आजकल नेता बनने का दौर चल गया हैं, इसलिए इनकी जनसंख्या बढ़ रही हैं। हाल ही में हुए जनगणना के दौराऩ इनकी संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई हैं, इसलिए पार्टियों और नेताओं की संख्या भी बढ़ रही हैं, इन नेताओं पर परिवार नियोजन का भी असर नहीं पड़ रहा हैं, ताकि ये नियंत्रित हो सकें, लेकिन इन्हें नियंत्रित करने के लिए पूरे देश में एक नये तकनीक पर काम चल रहा हैं, जिस दिन वो तकनीक बन गयी, ये नेता भी नियंत्रित हो जायेंगे, ऐसा तकनीक बनाने में लगे, वैज्ञानिकों का दावा हैं।
वैज्ञानिकों का ये भी कहना हैं कि आगामी 2020 तक नेताओं को नियंत्रित करने के टीका का इजाद कर लिया जायेगा, तब तक आप नेताओं के जंगली व्यवहार का शिकार होने से बचने के लिए, खुद ठोस प्रयास करें, फिलहाल एड्स और कैंसर की तरह नेताओं के काट से बचने के लिए कोई दवा बाजार में उपलब्ध नहीं हैं।

निम्नलिखित प्रश्ऩों के उत्तर संक्षेप में दें ----------------------
क. नेता, मनुष्यों से कैसे अलग हो जाता है ?
ख. नेता वोट के चलते क्या – क्या कर सकता हैं ?
ग. नेताओँ के पेट की क्या विशेषताएं हैं ?
घ. वैज्ञानिकों ने क्या दावा किया हैं ?
ङ. पत्रकारों और नेताओं में क्या संबंध हैं, वो इन संबंधों को किस प्रकार निभा रहा होता हैं ?