Wednesday, December 12, 2012

12.12.12 का चक्कर..................

12.12.12 को आना ही था, वो आ गया। अब आप इसे कैसे मनाते हैं। कैसे सेलीब्रेट करते हैं। कैसे इस दिन को यादगार बना देते हैं। ये श्रेय ईश्वर ने आपको दिया हैं, पर आप 12.12.12 को सेलीब्रेट करने के चक्कर में ईश्वर को जब चुनौती दे डालते हैं, तो ये ईश्वर को तनिक भी अच्छा नहीं लगता। आज 12.12.12 को सेलीब्रेट करने के चक्कर में लोग यहीं कर रहे हैं। कई ज्योतिषियों ने तो यहां तक कह दिया कि आज के दिन जो बच्चे जन्म लेंगे वे बहुत ही बलशाली व पराक्रमी होंगे, क्योंकि आज के दिन पांच ग्रहों का संयोग मिल रहा हैं। मंगल ग्रह का प्रभाव बच्चों पर पड़ेगा और आज जन्म लेनेवाले बच्चे और दिनों की अपेक्षा कुछ बेहतर स्थिति में होंगे। इस मनगढ़ंत बेफिजूल की बातों व चर्चाओं का प्रभाव यह पड़ा या यूं कहें कि कुछ लोगों को पता नहीं क्या हो गया, वो आज ही के दिन आपरेशन करा बच्चे को जन्म दे रहे हैं और नाम दे रहे हैं कि वे मातृत्व-पितृत्व सुख पाना चाहते हैं। क्या ईश्वरीय सत्ता को चुनौती देते हुए, खुद आपरेशन करा बच्चे को जन्म दिलाकर, मातृत्व-पितृत्व सुख पाना सहीं हैं। 
कुछ लोग आज ही वैवाहिक जीवन का आनन्द लेने की कामना करते हुए दाम्पत्य सूत्र में बंध रहे हैं। ऐसा करने से उन्हें लगता हैं कि उनका जीवन धन्य हो जायेगा और कुछ लोग अजीबोगरीब हरकतें कर रहे हैं, जिसे देख हमें लगता हैं कि हम पढ़े - लिखे लोगों की दुनिया में हैं, या मूर्खों की दुनिया में। अनपढ़ लोग जब ऐसी हरकतें करते हैं तो समझ में आता हैं कि वे अनपढ़ हैं, पर पढ़े लिखे लोग ऐसी हरकतें करे तो क्या कहेंगे। एक घटना सुनाता हूं, जब आपरेशन से बच्चों का जन्म नहीं होता था, तब ऐसी हालात नहीं थी, जबसे आपरेशन की धंधे ने जोर पकड़ा, ऐसी वाहियात बातों का प्रभाव ज्यादा दिखा। सच्चाई ये हैं कि बच्चे - बच्चे होते हैं। ये ईश्वरीय अनुभूतियां हैं, आप इन्हें ईश्वर पर ही छोड़ दे। उन्हें जब ईश्वर ने मुकर्रर कर दिया हैं, दुनिया में आने को। उन्हें उस दिन ही आने दे, नहीं तो इसका खामियाजा आपको ही भुगतना पड़ेगा और फिर आप जिंदगी भर अपने आपको कोसते रहेंगे कि आपने ऐसा क्यूं किया। एक उदाहरण, जो अपने जीवन में घटा हैं, वो आपके समक्ष रखता हूं। एक व्यक्ति ने एक ज्योतिष के घर जाकर कहा, ज्योतिष महोदय। डाक्टर ने कहां हैं कि आपका बच्चा आपरेशन से होगा, आप जब कहें दो तीन दिन के अंदर आपरेशन कर बच्चे को दुनिया में ले आया जाय। आप ये बताये कि कौन दिन आपरेशन कराना अच्छा रहेगा, ग्रहों की स्थिति किस दिन शुभ और अद्भुत हैं, जिस दिन बच्चे को दुनिया में ले आया जाये, और एक पंथ दो काज हो जाय। ज्योतिष ने सारे पंचांग उलटकर डेट मुकर्रर कर दी। और उक्त डेट को बच्चा दुनिया में आ गया। बच्चा जब दुनिया में आया तो फिर ज्योतिष से पंचांग दिखाने की, कुंडली बनाने की बात हुई। चूंकि जन्म के पहले ही पंचांग दिखा लिया गया था, अब केवल औपचारिकता पूरी की गयी। ज्योतिष ने कहा - अरे जजमान, गजब हो गया। आपका बच्चा होनहार, विद्वान, महापराक्रमी, बलशाली हैं, कोई इसके सामने टिकेगा ही नहीं। एकदम मस्ती में रहेगा। जब तक रहेगा, दोनों हाथों में इसके लड्डू रहेंगे। जजमान खुश। ज्योतिष को मुंहमांगी दक्षिणा देकर विदा किया गया। इधर बच्चे के ननिहाल से भी बच्चे को देखने की जिज्ञासा हुई कि ज्योतिष ने कहा हैं कि बच्चा बहुत ही पराक्रमी होगा, हम भी देखे कि मेरा नाती कैसा हैं, मेरा भांजा कैसा हैं। ननिहाल के नाना - नानी, मामा- मामी सभी व्याकुल। छोटा सा बच्चा, जब चार साल का हुआ, वो अपने ननिहाल पहुंचा। सभी खुश, दिन खुशियों से कट रहे थे। ज्योतिष की बात, कुछ सर चढ़ कर बोल रहा था। सभी ज्योतिष की बातों में फूले नहीं समा रहे थे। अचानक एक घटना घटी, चार साल का बच्चा, आकाश से आती हुई किसी चीज को देखने के लिए दौड़ा, शायद पतंग होगा। उसके पांव, खूले छत से फिसले और वो जमीन पर गिर पड़ा। उसे लोग लेकर फिर अस्पताल की और दौड़े और बच्चा दुनिया में मात्र चार साल ही टिक सका। लोग ज्योतिष को कोसने लगे, कि आपने कहा था - ऐसा होगा, वैसा होगा। लेकिन बच्चा तो चार साल में ही दुनिया से चल बसा। ज्योतिष ने कहा कि जजमान मैने गलत कहां कहा। बच्चे की चार साल की आयु थी और इन चार सालों में मैं वो पूरी तरह मस्ती काटा, मैने तो बच्चे की जन्म कुंडली देखी थी, आपकी नहीं। इसलिए आप देखे की बच्चा चार साल में ही मस्ती काटी की नहीं। बच्चे के माता - पिता के होश उड़ गये। वो ज्योतिष की बातों और उसकी इस सोच से अवाक् हो गये। 
आज जिस प्रकार से बच्चे को जन्म दिलाने  और शादी करने की होड़ 12.12.12 के चक्कर में लगी हैं। हमें लग रहा हैं कि कहीं ऐसा नहीं कि लोग इस 12.12.12 के चक्कर में अपने ही हाथों से आनेवाले भविष्य के सुखद पल का कहीं गला न घोंट दे। हम तो यहीं चाहेंगे कि लोग ईश्वर की सत्ता को चुनौती देने के बजाय, ईश्वर को हाजिर-नाजिर मानकर, ये दिन भी उन्हीं को सौंप, इसका आनन्द लें, तभी हम सच्चे सुख का आनन्द ले पायेंगे, नहीं तो वहीं होगा, जो मैंने एक सच्ची घटना के माध्यम से आपके समक्ष कुछ कहने की बात रखी............

1 comment:

  1. This is absolutely correct Krishna bhai. Things go according to the wishes of the god and not according to our wishes....

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