Monday, December 31, 2012

ये नया वर्ष हैं..................


कल भी आया, कल आयेगा भी,
हंसो, खेलो, ये नया वर्ष हैं
हंसो, खेलो, ये नया वर्ष हैं..................
भ्रष्टाचार-दुष्कर्म, निरंतर
भारत की दिन-रात भयावह
सिसकती, कराहती, जैसे-तैसे
जीने की ये नयी चाह हैं
हां हां, सुनो
ये नया वर्ष हैं.....................
कल दल-गण आंदोलन करती थी
अब, आंदोलन से पीछे हटती हैं
अब जनता आगे बढ़ कहती
हटो, अरे ये मेरा वक्त हैं
क्योंकि,
ये नया वर्ष हैं....................
गंगा – जमना, अब रोती कहती
कभी हरती थी, वो पापों को
अब खुद मैली होकर भी,
त्राहिमाम संदेश सुनाती
घाटों की सुनी दिन रातें
कलकल निनाद न, अब सुन पाती
फिर भी बोलो, कि हम खुब खुश हैं
झूठ बोल, मन को बहलाओ
और कहो
ये नया वर्ष हैं.............................

1 comment:

  1. Aur kaho ye naya varsh hai! Adbhut. Bahut hi achchi parikalpana hai Krishna bhai! Desh mein hal philhal aisa hi ho raha hai!

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