Monday, July 27, 2015

सरकार कायर है, पर जनता नहीं.........

सरकार कायर है, पर जनता नहीं.........
जनता ऐसे अखबारों/चैनलों का बहिष्कार करें, ऐसे पत्रकारों का बहिष्कार करें.............
• जिन्हें नेताओं में खुदा दीखता हो(आजकल रांची से प्रकाशित एक अखबार को नीतीश कुमार में खुदा दीख रहा है)........
• जो झूठी खबरें बार-बार प्रकाशित करता हो(एक अखबार ने छाप दिया कि राज्यपाल की गाड़ी बीस मिनट तक खड़ी रही, गाड़ी में पेट्रोल नहीं रहने के कारण)........
• जो विज्ञापन के लिए सामाजिक ताना-बाना को तोड़ता हो, और बिल्डरों-गुंडों को, अपने अखबारों में, देश के दिवंगत महान नेताओं की तरह पेश करता हो.......
• जो बिल्डरों से अपने कार्यक्रम को संपन्न कराने के लिए मुंहमांगी रकम वसूलता हो, और वह बिल्डर झारखंड की आम जनता के पैसे को चकमा देकर लूट लेता हो.........
• जो अपने मातहत कार्य करनेवाले, कर्मचारियों और पत्रकारों को सही समय पर तो दूर, उन्हें उचित पारिश्रमिक नहीं देते हो, जिस पारिश्रमिक के बारे में केन्द्र सरकार या राज्य सरकार ने एक मानदंड स्थापित किया हो..........
देश आपका, प्रदेश आपका। जिम्मेवारी आपकी भी बनती है। क्या प्रतिदिन, आप चार-पांच रुपये में अखबार, सिर्फ इसलिए खरीदते हैं कि वे जो मन करें, छाप दें और आप उसे पढ़ने के लिए मजबूर हो। आप चैनल वालों को हर महीने दो सौ से तीन सौ रुपये इसलिए देते हैं कि वे जो मन करें वो दिखाएँ और आपके परिवार, समाज और देश का माहौल खराब कर दें। नहीं न, तो फिर आज ही इनके खिलाफ कमर कसिए और हल्ला बोलिए, पर गांधीवादी तरीके से..........

यानी बिहारी बाबू बन गये बोकरादी बाबू.........

अब तो नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री हैं लेकिन हम आपको बता दें कि जब से नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की बात चली थी, तभी से बिहार का एक भाजपा नेता व फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को बोकरादी की बीमारी लग गयी, बेचारा पगला गया। उसे नीतीश और लालू में खुदा नजर आने लगा। कारण बिहार के लोग भी जानते हैं और हम भी, गर कोई नहीं जानता हैं, तो वह भी जान ले, चूंकि शत्रुघ्न सिन्हा की जिंदगी में गर कोई उसका सबसे बड़ा शत्रु हैं तो वह हैं अमिताभ बच्चन। अमिताभ बच्चन और नरेन्द्र मोदी के बीच किस प्रकार की दोस्ती चल रही हैं, वह सभी जानते है। कैसे नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए और डीडी किसान चैनल को प्रमोट करने के लिए अमिताभ बच्चन को स्थान दिया। ऐसे में भला शत्रुघ्न सिन्हा को बोकरादी की बीमारी का बढ़ जाना स्वाभाविक हैं, इसलिए वह नरेन्द्र मोदी को थोड़ा डोज देना चाहता हैं, पर वो नहीं जानता कि नरेन्द्र मोदी एक ऐसे शख्स का नाम हैं कि वह शत्रुघ्न सिन्हा जैसे कई लोगों की बोकरादी छुड़ा चुका हैं, ऐसे अभी जिस शत्रुघ्न सिन्हा को नीतीश व लालू में खुदा नजर आ रहा हैं, उन दोनों को नरेन्द्र मोदी जो हैं, बोकरादी छुड़ा चुका हैं तो फिर शत्रुघ्न सिन्हा किस खेत का मूली है....शत्रुघ्न सिन्हा, बिहार के लिए क्या किया हैं, सभी जानते हैं। जब फिल्म स्टार था, जब उसकी चलती थी तो बोला था कि वो बिहार के लोगों के लिए कुछ करना चाहता हैं, कैंसर हास्पिटल खोलने की बात करता था, पर सच्चाई ये हैं कि इसने बिहार के लोगों को सपना तो दिखाया, पर उसने सपने पूरे नहीं किये। हां बिहार के लोगों को समय - समय पर धोखा देकर, वह कई बार सांसद जरुर बन गया। जरा इस बोका बिहारी से पूछिये कि वह सांसद रहते हुए, बिहार के लिए क्या किया...पता चलेगा कुछ नहीं, फिलहाल अमिताभ बच्चन को मिल रही इज्जत से वह पागलपन का शिकार हो गया हैं, इसलिए कभी वो याकूब मेनन जैसे आतंकी के पक्ष में तो कभी नीतीश व लालू के पक्ष में अनाप-शनाप बयान दिये जा रहा है, और जिस थाली में खा रहा हैं, उसी में छेद कर रहा हैं। ये हैं बिहारी बाबू का असली चेहरा...यानी बिहारी बाबू बन गये बोकरादी बाबू.........

Wednesday, July 22, 2015

अब इन मूर्खों को कौन समझाएं............

हजारीबाग की खबर, आज चर्चा में है, सूर्खियों में हैं, जितने लोग, उतनी ही चर्चाएं, इस चर्चा से लोगों की बुद्धिमता, और यहां के संपादकों/पत्रकारों/छायाकारों के विशाल ज्ञान भंडार का भी पता चल गया है। रांची से प्रकाशित सभी प्रमुख समाचार पत्रों ने एक खबर फोटो के साथ लगायी है। जिसमें राज्य की मानव संसाधन मंत्री नीरा यादव हजारीबाग के एक स्कूल में पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम के चित्र पर जीते जी माला पहना दी, श्रद्धांजलि दे दी। अखबारों ने ये भी लिख दिया कि ऐसा कार्य संवैधानिक पद पर बैठे हुए, व्यक्ति ने की हैं। उनका इशारा इस ओर है कि माननीय मानव संसाधन मंत्री नीरा यादव को ऐसा नहीं करना चाहिए था। कुछ अखबारों ने नीरा यादव के बयान भी छापे है, बयान इस प्रकार है कि जैसे लगता हो कि नीरा यादव को भी लगता हैं कि उन्होंने ऐसा कर कुछ गलत कर दिया। जब मन में पछतावा का बोध हो, तो इसे प्रायश्चित के रुप में देखा जाना चाहिए, यानी संबंधित व्यक्ति को लगता हैं कि उसने ऐसा कर गलत किया है.....
पर माननीय मानव संसाधन मंत्री नीरा यादव जी, और यहां के महान अखबारों के महान संपादकों आज मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं, शायद वो कहानी आप सुने भीं होंगे, पर आज आर्थिक उदारीकरण की बहाव में आप इतना बह गये कि आपको पता ही नहीं चल रहा हैं कि आप कहां हैं, भारत या विदेश में। इसमें आपकी भी गलती नहीं, ये सब समय का कुचक्र हैं, ये अभी चलेगा........
वो कहानी इस प्रकार है.......
एकलव्य नामक एक भील बालक था। उसे पता लगा कि द्रोणाचार्य कौरवों और पांडवों को धनुर्विद्या की शिक्षा दे रहे हैं। वह भील बालक द्रोणाचार्य के पास गया और उसे भी धनुर्विद्या की शिक्षा मिले, इसकी प्रार्थना की, पर द्रोणाचार्य ने उसे धनुर्विद्या की शिक्षा देने से मना कर दिया। उस भील बालक एकलव्य ने संकल्प किया, कि वह जैसे भी हो, धनुर्विद्या सीखेगा। उसने वन में जाकर द्रोणाचार्य की प्रतिमा बनायी और उसे गुरु मान लिया। प्रतिदिन उस प्रतिमा पर जाकर माल्यार्पण करना, उसका पूजन करना, उसका दिनचर्या बन गया, और इस प्रकार स्वयं धनुर्भ्यास करने लगा। एक दिन द्रोणाचार्य को उसके दिव्य धनुर्ज्ञान का पता चला। वे अपने शिष्यों के साथ उस भील बालक एकलब्य को ढूंढने निकले। वह रास्ते में ही मिला। द्रोणाचार्य को देख, एकलव्य ने प्रणाम किया। द्रोणाचार्य को समझते देर नहीं लगी, कि ये वहीं बालक एकलव्य हैं, जिसके धनुर्ज्ञान ने उन्हें यहां तक ले आया है। द्रोणाचार्य ने पूछा-बालक एकलव्य तुम्हारे गुरु कौन है, जिन्होंने ऐसी दिव्य शिक्षा दी। एकलव्य ने बड़ी ही विनम्रता से कहा - वो गुरु आप ही हैं महाशय। द्रोणाचार्य आश्चर्य में पड़ गये। द्रोणाचार्य ने कहा - कैसे। एकलव्य ने कहा कि मैं प्रतिदिन आपकी प्रतिमा के समक्ष, आपको प्रणाम कर, आदर देकर, मैं धनुर्भ्यास करता हूं, जिसके बल पर आज मैं धनुर्धर बन सका। द्रोणाचार्य आश्चर्य में पड़ गये और जब उन्होंने फूल-मालाओं से लदी अपनी प्रतिमा देखी, तो वे और आश्चर्य में पड़ गये। अंत में द्रोणाचार्य ने गुरुदक्षिणा के रुप में एकलव्य का अगूंठा ले लिया, पर गुरुभक्ति और सर्वश्रेष्ठ धनुर्धऱ के रुप में एकलव्य आज भी जिंदा हैं।
ये जीवंत कथा, बहुत कुछ बता देती है कि जीवित व्यक्ति को पूजा जाना चाहिए या नहीं.......गर नहीं समझ में आ रहा तो और मैं इसे विस्तार से बता देता हूं। एकलव्य जब गुरु द्रोणाचार्य की प्रतिमा का प्रतिदिन पूजा करता था, उस वक्त द्रोणाचार्य मरे नहीं थे, वे शारीरिक वेश में सभी के सामने मौजूद थे। ये आज के संपादकों/पत्रकारों/छायाकारों को जान लेना चाहिए। साथ ही अपराधबोध से ग्रसित मानव संसाधन मंत्री को भी जान लेना चाहिए। अपने यहां गुरु को देव से भी बड़ा माना गया हैं, उच्च स्थान दिया गया है। जरा इस पँक्ति को देखिये...
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपनो, जो गोविंद दियो बताय।।
तैतरियोपनिषद् कहता है.....
मातृदेवो भव
पितृदेवो भव
गुरु देवो भव
अतिथिदेवो भव
यानी तीसरा स्थान गुरु का है, इस कारण भी हृदय में देव भाव रखकर, जिन गुरु के प्रति आप सम्मान प्रकट कर रहे है और वे गुरु जब आपके समक्ष किसी कारण से जीवित रहने के बावजूद मौजूद नहीं हो, तब भी उनके चित्र पर माल्यार्पण करना, उनकी आरती तक उतारने में कोई बुराई नहीं। हां बुराई तब है, जब वो गुरु जीवित हो या मृत, पर आपके मन में उनके प्रति श्रद्धा नहीं, ऐसे हालात में आप क्या है - मनुष्य या पशु, स्वयं समझ लीजिये। हमें लगता हैं कि सभी लोगों के मन में ये बात स्पष्ट हो गयी होगी, कि मंत्री नीरा यादव ने एपीजे अब्दुल कलाम के चित्र पर माल्यार्पण कर, या उन्हें तिलक लगाकर कोई ऐसा कार्य नहीं किया, जिससे उन्हें शर्मिंदगी उठानी पड़ें। हां शर्मिंदगी उन्हें उठानी चाहिए, जो स्वयं को बहुत बड़े शंकराचार्य मानकर, अखबारों में बेवजह इस प्रकार की फोटो डालकर, बेवजह का समाचार बनाकर, पूरे प्रदेश के नागरिकों में भ्रांति फैला दी.............

Tuesday, July 21, 2015

सत्ता के सर्वोच्च सिंहासन पर बैठनेवालों को ये जान लेना चाहिए कि वो जो कर रहे हैं, वह भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में ही आता है, जैसे.............

सत्ता के सर्वोच्च सिंहासन पर बैठनेवालों को ये जान लेना चाहिए कि वो जो कर रहे हैं, वह भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में ही आता है, जैसे.............
1. सत्ता में आते ही किसी अन्य दल के विधायकों को तोड़कर अपने दल में मिला लेना ( याद करें प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 13 दिन के शासन के भाषण का वह अंश - किसी दल को तोड़कर सत्ता प्राप्त करनी हो तो ऐसी सत्ता को हम चिमटे से भी छूना पसंद नही करते....)
2. सत्ता में आते ही, अपने कर्मचारियों और जनता के हितों को न देख, सबसे पहला अपना हित देखना और अपने, अपने मंत्रियों और विधायकों साथ ही अन्य दलों के विधायकों के वेतन में वृद्धि करने का प्रस्ताव स्वीकार करना ( याद रहे, आप जन प्रतिनिधि है, जन सेवक हैं न कि शासकीय कर्मचारी और अधिकारी...)
3. सत्ता में आते ही, एक ऐसे व्यक्ति (एक न्यूज चैनल के मालिक) के घर जाकर चाय पीने की हिमाकत करना-भोजन करना, जिसे न्यायालय एक आरोप में खोज रही हैं। जिसके खिलाफ गैरजमानतीय वारंट जारी है और जिसे आपकी पुलिस उसे गिरफ्तार करने के बजाय, उसे सुरक्षा दे रखी है।
4. सत्ता में आते ही सदन में ये बयान देना कि जयपुर के एक यौन शोषण के आरोपी को पुलिस गिरफ्तार करने राजस्थान जायेगी और बाद में आप ही के एक पुलिस प्रवक्ता का ये बयान की उक्त आरोपी के खिलाफ कोई वारंट जारी नही हुआ हैं, इसलिए उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती और बाद में उसी आरोपी के चैनल में जाकर शान से अपना इंटरव्यू प्रसारित करवाना। इससे किसका मनोबल बढ़ा, उस बेटी का जिसने उक्त व्यक्ति पर यौन शोषण का आरोप लगाया, या उस व्यक्ति का जिस पर यौन शोषण का आरोप है, हद तो तब हो गयी, कि वो व्यक्ति अंत में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ विदेश यात्रा में भी शामिल हो गया। आश्चर्य, घोर आश्चर्य.......
5. जनता की सुरक्षा पर ध्यान न देकर, अपनी सुरक्षा के लिए पांच-पांच पजेरो निकलवाना, क्या ये सचमुच बहुत ज्यादा जरुरी हैं, अरे आप जब उपमुख्यमंत्री थे तो आप बिना सुरक्षा के चला करते थे, आज क्या हो गया.............
6. जो देश के लिए मरे, उस शहीद को देने के लिए मात्र 2 लाख और अपनी सुरक्षा के लिए एक करोड़ की गाड़ियों का काफिला की खरीद................वाह रे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़नेवाले नेता, वाह री सरकार......तुम्हारा जवाब नहीं......
7. 1 जून को मैंने फेसबुक पर एक आलेख पोस्ट किया और किसी ने उसकी सूध तक नहीं ली...........वो आलेख इस प्रकार था, पर किसी ने उस पर कार्रवाई तक नहीं कि...आलेख था.......
बच्चे परिणाम चाहते हैं...........
आखिर आप ये तो बताएं कि इन बच्चों ने कौन सा पाप किया है कि आपके वरीय पुलिस अधिकारी इनकी बात नहीं सुनते या इनकी वेदना पर अट्टहास करने से बाज नहीं आते..................
हम जहां रहते हैं, वहां एक बहुत ही गरीब घर का बच्चा रहता है, नाम है – लखू। उसने कुछ सपने देखे है, अपने परिवार के लिए, उसे लगता हैं कि अब सपने पूरे होनेवाले है, वह भी तब जब जैप विज्ञापन संख्या – 02/2011 के बोर्ड नं. 1 का मेरिट लिस्ट निकलेगा। लखू जैसे एक नहीं कई लड़के होंगे, जिनकी हैसियत या औकात नहीं कि दिल्ली या और किसी महानगर में जाकर हराम के पैसे कमानेवाले परिवार के बच्चों की तरह आईएएस व आईपीएस की तैयारी कर सकें। हां मैं एक बात दावे के साथ कह सकता हूं कि गर इन्हें मौका मिले और सरकार मदद कर दें, इन बच्चों की, तो यकीन मानिये हराम की कमाई खानेवाले इन बापों के बेटे किसी जिंदगी में अपने बाप के सपनों को पूरा नहीं कर पायेंगे, क्योंकि तब इन सभी पर इन गरीब ईमानदार बापों के बेटों का कब्जा होगा।
8. आज भी, जो पैरवीपुत्र हैं, धनकुबेर हैं, रांची में विभिन्न पदों पर कुंडली मार कर वर्षों से बैठे हैं, उन्हें उस पद से नहीं हटाया जाता, पर सामान्य लोगों पर आज भी तलवार लटकती हैं। आज प्रभात खबर ने तो ऐसे लोगों के नाम तक छाप डाले हैं, क्या राज्य सरकार ऐसे लोगों का स्थानांतरण करेगी, इसका क्या जवाब हैं, सरकार के पास.....जनता जानना चाहती है।

क्योंकि ये भी भ्रष्टाचार है..................

14 जुलाई को प्रभात खबर के प्रथम पृष्ठ पर "हटाये जायेंगे रांची के अवर निबंधक" नाम से खबर छपी है। इस खबर को लेकर प्रभात खबर ने पिछले दिनों 8 जुलाई को इसी से संबंधित खबर "हाल रांची रजिस्ट्री कार्यालय का.....हर दिन तीन लाख की अवैध कमाई" नामक खबर का एक दृष्टांत भी दिया है। इस दृष्टांत के माध्यम से उक्त अखबार ने अपनी पीठ भी थपथपायी हैं कि देखिये हमारे खबर का असर, कैसे प्रभात खबर के एक खबर के इशारे पर भूकंप हो जाता हैं, और सरकार में बैठे अधिकारी, अपने पावर का इस्तेमाल करते हुए भ्रष्ट अधिकारियों को पल भर में स्थानांतरण कर देते है।
भाई प्रभात खबर, मेरी ओर से भी तुम्हें बधाई, क्योंकि सचमुच तुम जो लिखते हो, तो गजब हो जाता हैं। भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ लिखते हो, तो उक्त भ्रष्ट अधिकारी की शामत आ जाती हैं। तुम्हारी तो इतनी चलती हैं कि तुम्हारे अखबार में छपी खबरों पर न्यायालय संज्ञान भी लेता हैं और संज्ञान ही नहीं, उस खबर पर संबंधित विभाग और सरकार के अधिकारियों पर न्यायालय तल्ख टिप्पणी भी कर देता है। भला ऐसी औकात यहां पर किस की हैं, जिसकी इतनी चलती हो।
मेरा तो सरकार से अनुरोध हैं कि जब इस अखबार की इतनी चलती हो, और ये भ्रष्टाचार पर इतना लिखता हैं तो क्या जरुरत हैं राज्य में एंटी करप्शन ब्यूरो बनाने की। क्यों नहीं, इस अखबार के संपादक को या उसके मातहत कार्य करनेवाले किसी पत्रकार को इस विभाग की जिम्मेवारी सौप दी जाये। इससे भ्रष्टाचार पर लगाम भी कस जायेगा, और सरकार की किरकिरी भी नहीं होगी। राज्य में राम-राज्य आ जायेगा। ऐसे में न्यायालय को किसी बात को लेकर संज्ञान लेने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। क्यों कैसी रहीं............
और अब सवाल हमारा रघुवर सरकार, उसमें शामिल मंत्रियों और राज्य के अधिकारियों से...........
1. क्या राज्य में अखबार तय करेंगे कि कौन सा अधिकारी/कर्मचारी भ्रष्ट हैं या कौन सा अधिकारी सत्यवादी और कर्तव्यनिष्ठ?
2. क्या जो अखबार ने आज अथवा 8 जूलाई को खबर छापी हैं, उसके पास कोई प्रमाण हैं?, क्या किसी ने आरोप लगाया? या उक्त अखबार के पास कोई ऐसा प्रमाण जिससे पता लगता हो कि उक्त कार्यालय के सभी अधिकारी/कर्मचारी भ्रष्ट है? (क्योंकि उक्त अखबार ने बहुत ही गंभीर आरोप लगाये हैं ये कहकर कि वसूली में कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक है शामिल, सभी काम के लिए तय है रेट, उसने किसी को नहीं छोड़ा है।)
3. गर भ्रष्टाचार में, अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक शामिल हैं, जैसा कि प्रभात खबर ने लिखा है तो फिर सिर्फ एक अधिकारी को स्थानांतरण की बलि क्यों चढ़ाई जा रही हैं?, पूरे आफिस का ही कायापलट क्यों नहीं किया जा रहा?
4. इसकी भी क्या गारंटी कि जिस रांची के अवर निबंधक का स्थानांतरण, राजमहल निबंधन कार्यालय में और राजमहल निबंधन कार्यालय के अवर निबंधक का स्थानांतरण रांची निबंधन कार्यालय में किया जाने का प्रस्ताव हैं, ऐसा हो जाने पर रांची निबंधन कार्यालय और राजमहल निबंधन कार्यालय में यानी दोनों जगह रामराज्य स्थापित हो जायेगा।
5. क्या किसी भी अधिकारी व कर्मचारी का स्थानांतरण कर दिये जाने से वह व्यक्ति भ्रष्टाचार में लिप्त रहना छोड़ देता है? गर ऐसा नहीं हैं तो फिर उसका स्थानांतरण के बजाय, वो जहां हैं, उसे वहीं ठीक करने की जरुरत सरकार और उसके अधिकारी क्यों नहीं समझते या उसकी किये गलती कि राज्य सरकार के नियमों व उपनियमों के तहत वहीं दंड क्यों नहीं दिया जाता.....
6. गर जिस भ्रष्ट व्यक्ति का स्थानांतरण हो रहा हैं और वह व्यक्ति जहां जा रहा हैं, क्या वहां वह भ्रष्टाचार नहीं फैलायेगा, इसकी क्या गारंटी है?
और इसकी भी क्या गारंटी कि जिस व्यक्ति को उसके स्थान पर लाया जा रहा हैं, वो शत् प्रतिशत दूध का धूला हैं.............
माननीय मुख्यमंत्री रघुवर दास जी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों......क्या आपको पता नहीं कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक जनसभा के दौरान क्या भाषण दिया था, गर आपको नहीं मालूम तो मैं आपको सुना देता हूं.......उस वक्त के प्रधानमंत्री के प्रबल दावेदार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाषण में कहा था कि गुजरात में उनके पास एक भ्रष्ट अधिकारी के स्थानांतरण की बात आयी, तो उन्होंने कहा कि इसकी क्या गारंटी कि ये भ्रष्ट अधिकारी जहां इसका स्थानांतरण होगा, वहां जाकर शरीफ हो जायेगा....अरे गर ये गलत हैं तो दूसरी जगह के लोगों ने कौन सा पाप किया हैं कि वहां भेजकर ऐसे भ्रष्ट लोगों को बैठा दूं...हम ऐसा क्यों नहीं करते कि इस भ्रष्ट व्यक्ति को ही, जहां हैं, वहीं ऐसा टाइट कर दें कि वो भ्रष्टाचार से तौबा कर लें। गुजरात में यहीं तर्ज पर काम शुरु हुआ, उन्हें खुशी हैं कि सभी अधिकारियों ने गुजरात को बेहतर बनाने में मदद की और गुजरात, आज गुजरात हैं..............
क्या ये भाषण नरेन्द्र मोदी ने केवल जनता को सुनाने के लिए कहीं थी, गर ऐसा नहीं तो फिर यहीं बातें रघुवर दास और उनके मंत्रियों के कानों में क्यों नहीं जाती, गर नहीं जाती तो ये दुर्भाग्य हैं.............
अरे भाई, कौन ऐसा विभाग हैं, जहां भ्रष्टाचार नहीं हैं, अरे भ्रष्टाचार तो आजकल सदाचार का ताबीज बन चुका है, गर हम सबको स्थानांतरण करना शुरु कर देंगे, तो फिर अलग से एक स्थानांतरण विभाग खोलना पड़ जायेगा..........
मेरा मानना हैं, भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं होना चाहिए, प्रमाण मिल जाये, छोड़िये मत, कड़ी से कड़ी सजा दीजिये, ऐसी सजा दीजिये कि उसे नानी याद आ जाये, पर किसी अखबार के कहने, लिखने पर नहीं...........
गर आपने ऐसा शुरु किया, तो एक नई परंपरा की शुरुआत होगी, एक पत्रकार जायेगा और किसी अधिकारी को धमकी देगा कि हम आपके खिलाफ अनाप-शनाप छापेंगे और आपको यहां से तबादला करा देंगे, फिर क्या होगा, गर वो ईमानदार अधिकारी भी होगा तो वह ब्लैकमेलिंग का शिकार होगा, क्योंकि फिर उसे रांची का एटमोस्फेयर, बच्चों की पढ़ाई वगैरह की चिंता होगी और लीजिये एक नया भ्रष्टाचार का जन्म.....
क्या यहां के नेता और मंत्री नहीं जानते, कि यहां किस तरह की पत्रकारिता हो रही हैं, पत्रकारिता के नाम पर किस प्रकार की दलाली हो रही हैं.....गर सब जानते हैं, तो इस प्रकार की दलाली को भी बंद करने के लिए सरकार पहल करें, क्योंकि ये भी भ्रष्टाचार हैं...............

एक संपादक की रघुवरभक्ति..............

संयोग से आज 11 जुलाई के दो अखबार मेरे सामने है। एक प्रभात खबर और दूसरा दैनिक जागरण। आम तौर पर दैनिक जागरण, मैं नहीं पढ़ा करता, क्योंकि उसके बहुत सारे कारण है। उन कारणों को गर मैं गिनाना शुरु करूं तो रामायण और महाभारत से भी बड़ा महाकाव्य बन जायेगा और न तो मैं वेदव्यास और न ही वाल्मीकि बनने के लिए पैदा हुआ हूं, बस किसी तरह एक अच्छे इंसान के रुप में दुनिया से विदा हो जाऊं। इसी के लिए मैं फिलहाल प्रयासरत हूं।
अभी - अभी एक मेरे प्रिय मित्र दैनिक जागरण के संपादकीय पृष्ठ को लेकर मेरे सामने आये। जिसमें रांची के स्थानीय संपादक का एक आलेख है - झारखंड में भ्रष्टाचार। इस आलेख को पढ़कर मुझे महसूस हुआ कि उक्त संपादक के हृदय में भाजपा और रघुवर भक्ति की अविरल धारा बह रही है। आप उस धारा को राम-केवट की भक्ति से जोड़कर देख सकते है। ऐसे भी दैनिक जागरण और भाजपा का आपस में अन्योन्याश्रय संबंध है।
क्या गजब का आलेख है। संपादक ने मधु कोड़ा को याद रखा है, भ्रष्टाचार की सारी उपाधि उन्हीं की श्रेणी में डाल दी हैं, पर अर्जुन मुंडा को साफ बचा लिया, ये कहकर कि उन पर कोई भ्रष्टाचार के आरोप ही नहीं है, यानी वहीं पुरानी कहावत बच गये तो संत, पकड़े गये तो चोर.....वाली पद्धति पर अपने आलेख को समर्पित किया है। अरे संपादक जी, आप ही के यहां कई ऐसे रिपोर्टर जरुर होंगे, जो विधानसभा की रिपोर्टिंग करते होंगे, उनसे पूछो कि अर्जुन मुंडा के समय, खासकर विधानसभा में भाकपा माले विधायक दल के नेता महेन्द्र प्रसाद सिंह, अर्जुन मुंडा पर भ्रष्टाचार को लेकर कैसा दहाड़ा करते थे, कैसे उन्हें कटघरे में खड़ा करते थे। ये अलग बात हैं कि आज महेन्द्र प्रसाद सिंह दुनिया में नहीं है, पर आज भी ज्यादातर लोग यहीं जानते है कि भ्रष्टाचार की नींव, अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में ही पड़ी। ये अलग बात हैं कि उन भ्रष्टाचार के छींटों से वे बचकर निकल गये। जरा और देखिये, इस संपादक की बुद्धिमानी, संपादक ने रघुवर दास की भक्ति में यहां तक लिख दिया कि मुख्यमंत्री ने निगरानी ब्यूरो को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के रुप में विकसित कर यह संदेश दिया हैं कि गलत आचरण बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.........कमाल हैं अभी तक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो बना ही नहीं और इस संपादक महोदय ने विकसित करार दे दिया। संयोग से संपादक के इस बुद्धिमता पर 11 जुलाई के प्रभात खबर ने प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
11 जुलाई को ही रांची से प्रकाशित, प्रभात खबर, पृष्ठ संख्या 10 के उपरि कोना का सातवां और आठवां कॉलम पढ़िये, जिसमें प्रभात खबर ने छापा है कि "चार माह बीत गये, नहीं बना करप्शन ब्यूरो"। इस शीर्षक से छपे समाचार में गृह सचिव एन एन पांडेय का बयान भी है। जिसमें गृह सचिव ने कहा है कि एसीबी गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है, सरकार की मंजूरी मिलते ही एसीबी का गठन हो जायेगा। इसका मतलब है कि अभी एसीबी यानी एंटी करप्शन ब्यूरो राज्य में अस्तित्व में नहीं है।
यानी शत् प्रतिशत झूठ के आधार पर किसी मुख्यमंत्री का यशोगान व स्तुति पढ़ना हो, तो 11 जुलाई का दैनिक जागरण उठाकर देख लीजिये। आखिर कोई संपादक ऐसा क्यों करता हैं....उसके भी बहुत सारे कारण है। कारणों को जानना भी जरुरी हैं। कई संपादक इस प्रकार का आलेख, मुख्यमंत्री से स्वयं के संबंध अच्छे हो, इसके लिए भी इस प्रकार का संपादकीय लिख डालते है। या कोई महत्वपूर्ण कार्य स्वयं को अनुप्राणित करने के लिए सीएम या सरकार से कराना हो तब लिखते है। या घाटे में चल रहे अखबार को सीएम से प्राणदान मिल जाये, विज्ञापन के रुप में, तब लिखा करते है........पर जनहित में इनसे पूछो कि वे क्या लिखते है तो पता चलेगा, जनहित जाये भाड़ में, सर्वप्रथम लक्ष्मी घर में आ जाये, कार की जगह हेलीकॉप्टर आ जाये, ये महत्वपूर्ण है........और आजकल ऐसे कार्य सभी कर रहे हैं, ये अलग बात हैं कि आज इस संपादक ने बाजी मार ली..........।
अब बात निगरानी ब्यूरो को एंटी करप्शन ब्यूरो बना दिया जाय या कुछ और इसे नाम दे दिया जाय। उससे क्या हो जायेगा। काम तो इसमें आदमी ही करेंगे गर वे आदमी भी भ्रष्ट होंगे तो क्या भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी पकड़ें जायेंगे। उत्तर होगा - नहीं। तो फिर इस प्रकार की चोंचलेबाजी क्यों। छह महीने बीत गये, अब तक इस विभाग ने कितने बड़े अधिकारियों को पकड़े हैं। गर मैं अपनी बात करुं तो मैं कहूंगा कि अब तक सरकार ने मच्छड़ ही पकड़े हैं, जबकि आज भी बड़े-बड़े भ्रष्ट अधिकारी जिन्हें आप कुछ भी पद या नाम दे दो, मस्ती में जी रहे हैं, उनका तो बाल बांका नहीं हो रहा, जबकि इसी रांची में सीबीआई ने, दूरदर्शन के एक बहुत बड़े अधिकारी को रंगेहाथों घूस लेते पकड़ा, जो एक सप्ताह बाद अवकाश पर जानेवाला था। क्या इस प्रकार की कार्य राज्य सरकार, या उसके मातहत अधिकारियों ने किया है, गर नहीं तो फिर इस प्रकार की रघुवरभक्ति से किसे फायदा मिल रहा हैं......अरे जो पत्रकारिता जनहित में न होकर, सरकारभक्ति में लीन हो जाये, उस पत्रकारिता को क्या कहेंगे, खुद वो संपादक ही समझ ले, तो बेहतर होगा...............